देव श्रीमाली, GWALIOR. प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि इस बार तानसेन समारोह का 98वां आयोजन हो रहा है । 2024 में इसके सौ वर्ष पूरे हो जाएंगे। उनका प्रयास होगा कि तानसेन समारोह का शताब्दी वर्ष का आयोजन और ज्यादा भव्य और गरिमामय हो। इसके लिए अभी से कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने यह घोषणा तानसेन अलंकरण के बाद मीडिया से बात करते हुए कही।
हल्दीपुरी को तानसेन अलंकरण और सामवेद सोसायटी को मानसिंह सम्मान
भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव विश्व संगीत समागम "तानसेन समारोह'' का संगीतधानी ग्वालियर में भव्य शुभारंभ हुआ। यहां हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि के समीप चैन्नकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर सोमवार ( 19 दिसंबर) की सांध्यबेला में आयोजित हुए भव्य एवं गरिमामय समारोह में देश के सुप्रतिष्ठित बांसुरी वादक पं. नित्यानंद हल्दीपुर मुंबई को 2021 के "राष्ट्रीय तानसेन सम्मान'' से विभूषित किया गया। साथ ही मुंबई की संस्था सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट को 2021 के “राजा मानसिंह तोमर सम्मान” से अलंकृत किया गया। यह सम्मान कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही संस्था को दिया जाता है। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार कला व संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिये पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।
सम्मान में ये दिया
समारोह में उषा ठाकुर,संभाग आयुक्त श्री दीपक सिंह, पं किरण देश पांडेय, अभय चौधरी, संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी सहित अन्य अतिथियों ने पं.नित्यानंद हल्दीपुर को राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण के रूप में आयकर मुक्त दो लाख रूपए की सम्मान राशि, प्रशस्ति पट्टिका व शॉल-श्रीफल भेंट किए। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संगीत सम्राट तानसेन के नाम से स्थापित यह सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय संगीत सम्मान है। राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान के रूप में सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट संस्था को एक लाख रूपए की आयकर मुक्त राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंट कर सम्मानित किया गया। संस्था की ओर से उमा डोंगरा ने यह सम्मान ग्रहण किया। राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण से विभूषित पंडित नित्यानंद हल्दीपुर ने तानसेन सम्मान प्रदान करने के लिए राज्य सरकार के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।
ये खबर भी पढ़िए...
- ग्वालियर में बांसुरी वादक हल्दीपुर को तानसेन अलंकरण से नवाजा, शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोहा
अगले साल से सम्मान निधि दुगनी
संस्कृति मंत्री ने इस मौके पर बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि अभी तानसेन अलंकरण के साथ दो लाख रुपए की करमुक्त धनराशि दी जाती है लेकिन अगले साल जब तानसेन अलंकरण 2022 दिया जाएगा तो यह राशि बढ़ाकर दुगनी यानी चार लाख हो जाएगी।
हल्दीपुर सम्मान में झुके तो मंत्री ने किए चरणस्पर्श
तानसेन सम्मान लेने के बाद पंडित हल्दीपुरी भाव विभोर हो गए। उन्होंने झुककर जब संस्कृति मंत्री का अभिवादन किया तो उषा ठाकुर ने भी तत्काल झुककर उनके चरणस्पर्श कर लिए तो पूरा पण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा।
प्रदेश में 26 दिसंबर को मनेगा वीर बाल दिवस
उषा ने इस अवसर पर कहा कि मध्यप्रदेश सरकार संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तानसेन अलंकरण सहित अन्य कला सम्मानों की राशि बढ़ाने की घोषणा की है। उसकी प्रक्रिया पूरी हो गई है। अगले साल से बढ़ी हुई राशि के साथ अलंकरण प्रदान किए जायेंगे। उन्होंने कहा कि तानसेन समारोह का शताब्दी आयोजन पूरी भव्यता व विराटतम रूप में आयोजित किया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश कालजयी संस्कृति का संवाहक है। सनातन परंपराएं हमारी पहचान हैं। इसी का पालन करते हुए प्रदेश में कला व संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने आह्वान कि संस्कृति विभाग ने सामूहिक प्रार्थना की पहल की है, जिसमें सभी सहभागी बनें। उषा ने कहा कि हजारों लोगों की कुर्बानी से देश को आजादी मिली है, इसलिए उन्हें कभी न भूलें। अपने घर की बैठक में क्रांतिकारियों के चित्रों को भी सम्मानपूर्वक स्थान दें। संस्कृति मंत्री ने इस अवसर पर जानकारी दी कि सरकार द्वारा 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई है।
राग सुमनमाला का हुआ विमोचन
तानसेन समारोह के शुभारंभ अवसर पर अतिथियों द्वारा पण्डित बालाभाऊ उमडे़कर “कुण्डल गुरू” कृत राग सुमनमाला भाग प्रथम व द्वितीय का विमोचन भी किया गया।
ध्रुपद गायन के साथ हुआ पहली संगीत सभा का आगाज
सभा का शुभारंभ शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवम शिक्षकों द्वारा तानसेन की प्रशस्ति एवं ध्रुपद गायन से हुआ। रागमाला में पिरोई गई प्रशस्ति के बोल थे ''ध्रुव कंठ स्वरोदगार'' जबकि राग विहाग में तानसेन रचित ध्रुपद के बोल थे- "महादेव देवन पति। इस बंदिका को विद्यार्थियों ने बड़े ही सधे अंदाज में पेश किया। इस प्रस्तुति में पखावज पर संजय आफले एवं वायलिन पर अंकुर धारकर ने संगत की। निर्देशन डॉ वीणा जोशी का था।
उस्ताद वासिफुद्दीन डागर की डागरवाणी गायिकी से महका ध्रुपद का आंगन
शास्त्रीय संगीत के सुविख्यात गायक उस्ताद वासिफुद्दीन डागर ने जब अपनी बुलंद आवाज में राग "पूरिया" और चौताल में निबद्ध बंदिश " पार्वती नाथ शिव शंभू महादेव महाबली जागे.." का गायन किया तो ध्रुपद का आंगन डागरवाणी गायकी से महक उठा। इस साल के विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह की पहली संगीत सभा में पहले कलाकर के रूप में दक्षिण भारत के विश्व प्रसिद्ध चेन्नकेशव मंदिर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर उस्ताद वासिफुद्दीन डागर अवतरित हुए। डागरवाणी ध्रुपद गायिकी नोमतोल के बजाय ओम अनंत तम तरण..पर आधारित है। वासिफुद्दीन डागर जी ने अपने गायन में इसे जीवंत करके दिखाया। आलाप, मध्य लय आलाप और द्रुत अलाप में उनकी सुंदर आलापचारी सुनते ही बन रही थी। उस्ताद वासिफुद्दीन डागर ने अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए राग " देस" में तानसेन रचित बंदिश " जय जय शारदा भवानी.." पेश कर घरानेदार गायिकी को जीवंत कर दिया।उस्ताद वासिफुद्दीन डागर के गायन में देश के ख्यातिनाम पखावज वादक पं मोहन श्याम शर्मा और तानपूरे पर श्री जॉन होविट व श्री अरविंद श्रीनिवासन ने दिलकश संगत की।
पं. नित्यानंद के बांसुरी वादन आत्मा हुई झंकृत
तानसेन सम्मान से विभूषित पंडित नियानंद हल्दीपुर के बांसुरी वादन से बांसुरी के सौम्य स्वर गूंजे तो रसिक श्रोताओं का मन पुलकित हो गया। उनके बांसुरी वादन से रसिकों के मानस पटल पर कभी बागों में बिछे फूलों के गलीचों के दृश्य उभरे तो कभी फूलों से लदी लचकती साखों की थिरकन का अहसान हुआ। उन्होंने राग “हेमंत” से मुलायमियत भरी सौम्य शुरूआत के बाद फूंक और अंगुलियों के संतुलित समन्वय से निकलती तानें रसिक श्रोताओं की आत्माओं के तारों को झंकृत करने लगीं। आलाप से शुरू कर उन्होंने इस राग में दो गतें पेश की। दोनों गतें क्रमशः विलंबित एक ताल एवं द्रुत तीनताल में निबद्ध थीं। उनके वादन में प्रार्थना और सुकून के तत्व साफ झलक रहे थे। उन्होंने बांसुरी वादन का समापन राग बागेश्री में मध्यलय की गत से किया। इस गत के वादन से भी उन्होंने खूब रंग बिखेरे। बांसुरी वादन में तबले पर हितेंद्र दीक्षित ने नफासत भरी संगत का प्रदर्शन किया।
सायंकालीन सभा आज शाम की प्रस्तुतियां
इस सभा का आरंभ भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में पं.व्यंकटेश कुमार धारवाड़ का गायन, पं. विश्व मोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट जयपुर का मोहनवीणा वादन,धानी गुंदेचा भोपाल का ध्रुपद गायन, विश्व संगीत के तहत इजराइल के अवि अदिर एवं एलेक्स ओस्टापेंको की प्रस्तुति एवं सुश्री सुषमा वाजपेयी कानपुर का गायन होगा।